Sunday, June 22, 2025

एक चुप कहानी – जब मैं खुद से मिलना भूल गया था

दिन – वही थे। लोग – वही थे। पर मैं... मैं कहीं खो गया था।

हर सुबह वही अलार्म, वही नाश्ता, वही हँसी, वही सोशल मीडिया की दिखावटी ज़िंदगी। मैं चलता रहा — भीड़ के साथ। मगर अंदर एक सन्नाटा था।

फिर एक दिन...
वो डायरी मिल गई।

पुरानी, धूल भरी, कॉलेज के दिनों की। जैसे किसी ने समय में छुपा कोई दरवाज़ा खोल दिया हो।

"आज मैं अकेला नहीं हूँ, क्योंकि मैं खुद के साथ हूँ।"

मैं ठिठक गया।
ये मैं ही था? इतना सच्चा, इतना साफ़?

मैंने पन्ने पलटे –

  • जहाँ मैं अपने डर से लड़ता था,
  • सपनों को खुलकर लिखता था,
  • और सबसे ज़्यादा – खुद से प्यार करता था।

🙏 फिर मैंने खुद से वादा किया:

हर दिन के अंत में एक लाइन खुद के लिए लिखूँगा।
ना इंस्टाग्राम के लिए, ना किसी लाइक के लिए —
बस खुद के लिए।

🖊️ आज की लाइन:

"मैं फिर से जी रहा हूँ — अपने साथ।" 🕊️

❤️ अगर आपने कभी खुद को खोया हो, तो ये कहानी आपके लिए है।

👇 कमेंट्स में बताओ – क्या तुमने भी कभी खुद से दोबारा मुलाकात की है?

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एक चुप कहानी: जब मैं खुद से मिलना भूल गया था

Saturday, June 21, 2025

 आत्मिक सफर का सच्चा अनुभव

Intro  

           जैसे कि आप लोगों को पता है कि मैं एक संसार एक व्यक्ति था। फिर मेरे साथ एक बहुत ही दिलचस्प घटना घटा। मुझे बचपन से ही खुद पर सक होता था, कि मैं ऐसा क्यों हूं। मैं आत्मिक सफर का सच्चा अनुभव, शॉर्टकट में बताना चाहूंगा। इसको विस्तार से समझने के लिए मेरे जीवन के हर एक पहलुओं को जानना जरूरी है। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता कि आप लोगों को एक ही आर्टिकल में सब कुछ खिचड़ी बनाकर मिक्स करके बता दूं। मैं कोशिश करूंगा कि आप लोगों को समझने में कोई दिक्कत और परेशानी ना हो। 


      मैं एकदम शांत मिजाज का लड़का हूं। किसी से कोई बातचीत नहीं कोई रोक-टोक नहीं। मैं अपने ही शान में जीता था। मैं अपने असली नाम भी बताने से डरता हूं। क्योंकि कहीं मेरे जीवन से जुड़े लोगों पर सवाल न उठाया जाए। लेकिन क्या करूं, मेरा जिंदगी में ऐसे ही पड़ाव थे। जिससे हर हर उस व्यक्ति को सिखाना चाहिए जो अपने आदमी जिंदगी को मजबूत या सुधार करना चाहते हैं। अगर आप सच में परमेश्वर को मानते हैं और यह भी मानते हैं किस शैतान भी है, तो यह आर्टिकल आपका बहुत कुछ सिखाएगी। बहुत अजीब बात है अपनी बातों को रखने के लिए मुझे आर्टिकल का सहारा लेना पड़ रहा है। लेकिन मैं क्या करूं, मैं अपनी डायरी लिखूंगा।


शुरूआत: मेरी आदतें

     जैसे कि मैं बोल रहा था मुझे चुपचाप रहना पसंद है। लेकिन अगर कहीं बोलने के लिए मौका मिले तो मैं छोड़ता नहीं हूं। मुझे कहानी पढ़ना बहुत अच्छा लगता है, बचपन से ही मैं बच्चों की पंचतंत्र जैसी कहानी बहुत पढ़ा करता था। बचपन में मैं अपनी मम्मी पापा को मेरे साथ हो रहे घटनाओं को अक्सर बोला करता था। लेकिन कोई भी मेरे बातों पर यकीन नहीं कर पाता था, या शायद यकीन करते थे लेकिन जताते नहीं थे। क्योंकि उनकी आंखों का एक्सप्रेशन साफ जाहिर करता था कि उन्हें मेरी बातों को समझ में आया। जब मैं किशोरावस्था में आया तब ज्यादा घटनाएं घटने लगी मेरे साथ, जैसे कोई घटना होने का अंदेशा पहले हो जाना। बस इतना ही कोई खास नहीं, मेरा जिंदगी का एक मोटिव था। वह यही था कि मैं एक ही लड़की से प्यार करूंगा और उसी से शादी करूंगा। और दूसरा चीज अगर मेरे कारण से एक परिवार का जान बचता है तो मैं अपनी जान के परवाह नहीं करूंगा। बिल्कुल अपने बाप(यीशु मसीह) का स्टाइल है। और मेरा सबसे खास आदत था और अब भी है किसी से रिश्ता बना लो तो उसको अंत तक निभाना, चाहे वह दोस्ती का रिश्ता हो, भाई बहन का, या फिर किसी भी चीज का रिश्ता हो। एक बार किसी से बना लिया तो तोड़ेंगे नहीं, मैं अपने जीवन पर बहुत ही अच्छा था। बस अपने गांव और अपने परिवार के लिए कुछ करना था, लेकिन मुझे क्या पता कि इस जिंदगी की राहें मुझे कहीं और ही ले जाएंगे।


      मैं अपने हिसाब से बिल्कुल सही था। किसी के लिए कोई जलन या नफरत नहीं, और ना ही किसी से कोई लेना देना। कई बार लड़कियों को पटाने की भी कोशिश किया 🤭 लेकिन मैं नाकाम रहा। मैं नाकाम इसलिए हुआ क्योंकि मुझे ज्यादा इंटरेस्ट नहीं था लड़कियों में। अगर मुझे किसी ने था तो वह अपने जैसा होना चाहिए, जबकि आजकल ऐसा कोई भी नहीं है। मेरे बारे में फिलहाल तो इतना ही याद आ रहा है, क्योंकि मैं आप लोगों को अपने बारे में सब कुछ अच्छा सा बताना चाहता हूं। यही कि मैं अपना आत्मिक सफर कैसे तय किया, मैं यह सोचता हूं कि अगर कोई मुझे ऐसा इंसान मिल जाता जो मुझे वह सब बातें बताता है जो मैं आपको बता रहा हूं। तो आज मेरी जिंदगी वाकई में बहुत अच्छा होता,😞 अब मैं थोड़ा सा उदास हूं। क्योंकि जैसा जिंदगी मैं चाहता था वैसा मैं नहीं कर पाया।

To Be Countinue (paused by some technical issues)

Updating...

आत्मिक सफर का सच्चा अनुभव

Tuesday, June 17, 2025

 वह आने वाला है

  Intro

    आखिर क्यों मैं इतनी रात को अपनी डायरी लिख रहा हूं?

दिनांक 18/06/2025

अभी रात के 02:59 AM हुआ है। 03 बजने ही वाला है। मैं परमेश्वर को साक्षी मानकर अपनी यह डायरी लिख रहा हूं, आखिर ऐसा क्या चीज है जो मुझे इतनी रात को लिखने के लिए मजबूर कर दिया। मैं खुद को एक पापी इंसान मानता हूं, क्योंकि मैंने अपने परमेश्वर को दुख पहुंचाने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं किया है। अगर मैं भी दूसरे सांसारिक लोगों के जैसा होता, और परमेश्वर को नहीं जानता। तो बात अलग थी, लेकिन मैं तो परमेश्वर से रूबरू हुआ हुं। मैं खुद को किसी बाबा या किसी धर्म का अगुवा नहीं मानता हूं। क्योंकि संसार में ऐसे ऐसे लोग भी हैं जो यह विश्वास नहीं करते हैं कि जो मैं बोल रहा हूं वह बिल्कुल सही बोल रहा है। पवित्र शास्त्र के अनुसार मैं यहोवा परमेश्वर की शपथ नहीं खा सकता, लेकिन बातों को अपने प्रभु के सामने रख सकता हूं। और इसीलिए मैंने कहा कि मैं परमेश्वर को साक्षी मानकर अपनी बातों को इस डायरी में लिखता हूं।



मेरी दशा

  मैं तो वह नाली का कीड़ा हूं, जो किसी का भी नहीं हो सकता है। ना अपने परिवार का, ना इस पापी संसार का और न ही परम प्रधान परमेश्वर का। क्योंकि मैं खुद को पवित्र नहीं रख पा रहा हूं, लेकिन आज मैंने कुछ ऐसे स्वप्न देखें है, जिसे लिखना मेरे मन में मना किया गया है। जैसे मैंने यह सोचा कि जो मैंने देखा उसे मैं लिखूं, वैसे ही मेरे मन में एक हल्की आवाज में एक बात आया। "उसे‌ मत लिख" लेकिन मैं फिर भी लिखूंगा। क्योंकि मेरा परमेश्वर गड़बड़ का परमेश्वर नहीं है। वह जब कुछ भी बताता है तो साफ-साफ बताता है, इसलिए मैं यह समझता हूं की परम प्रधान ने मुझे लिखने से मन नहीं किया है। और एक बार में साफ-साफ बोल रहा हूं कि न मैं कोई बाबा हुं, और न ही मैं किसी भी धर्म का अगुवा, मैं उस परमेश्वर का तुच्छ दास हूं, जिसने सारी सृष्टि बनाई है। और ना ही मैं किसी धर्म के प्रचारक हूं। जब मैं लिखना शुरू किया तब मेरा शरीर-हाथ, कांप पर रहा था।

आखिर क्या देखा मैंने

   ऐसा बात नहीं है कि मैं यह पहली बार देख रहा हूं, मैं यह आज से से ‌‌‌12-13 साल पहले से देख रहा हूं। लगातार एक ही सपना, यह कैसे मुमकिन हो रहा है? और सपने में बताएंगे हर एक चीज क्यों पूरा हो रहा है? पहले मैं यह सब नजर अंदाज कर रहा था, लेकिन अब मैं नजर अंदाज नहीं करूंगा। क्योंकि मेरा नजर अंदाज करना, मुझे भारी पड़ सकता है।

    मैं आपको ( यानी इस डायरी को) केवल इंपॉर्टेंट घटना को ही बताऊंगा। क्योंकि मेरा कोई दोस्त नहीं जो मुझे समझ सके। अब तक मैंने जो देखा था, वह यादें धुंधली होती जा रही है। जैसे की कोई मेरे दिमाग से छेड़छाड़ कर रहा हो। जैसे की कोई यह चाहता है कि मैं इन बातों को आपके सामने ना रखूं। लेकिन मैं परमेश्वर से प्रार्थना की है कि मेरी यादें धूधली न हो और शायद इसलिए मैं अभी लिख पा रहा हूं।

क्या देखा था मैंने

  मैंने देखा, कि मैं और मेरा दोस्त मनु। हम दोनों लैपटॉप खरीदने के लिए कहीं जा रहे हैं। रास्ते में एक व्यक्ति मिला, और कुछ नहीं है मुझसे कहा कि अगर तुम्हें लैपटॉप चाहिए तो मैं तुम्हें एक कोड बताता हूं। और दुकान में यह कोड बता देना, ताकि वह कम दाम में एक अच्छा लैपटॉप दे सके। मैं ज्यादा कुछ ना सोचते  हुए एक दो कदम आगे बढ़ा, और मैं जैसे ही आगे बढ़ा मेरा दोस्त मुझे पीछे था, वह दुकान के पास आया। क्योंकि वह पीछे था मैं अपने दोस्त की तरफ गया और इधर-उधर से तीन-चार लोग आए। उन में से एक के पास बंदूक था, जो शायद उन लोगों का हेड था। मुझे अपने दोस्त के साथ कहीं ले जाया जाने लगा। मुझे आभास हो गया, कि जहां भी लैपटॉप मिलेगा। यह लोग हमसे छीना झपटी करेंगे। मैं समझ गया कि यह लोग चोरी का माल बेचते हैं, और जो दो तीन चार लोग थे वे सभी भी उन चोरों का ही गैंग है।

    जब हम दोनों को कुछ दूर ले जाया गया, तब मुझे पता चला कि मेरा दोस्त ने उन लोगों के साथ हाथ मिला लिया है। और उसने मुझे पकड़वाया है। मेरे कहने का मतलब है, एक सुनसान जगह पर मेरा दोस्त मुझे उन लोगों के हाथों सौंप कर हंसते हुए दूर जा रहा था। तभी अचानक उन लोगों में से दो-तीन लोगों ने उसको भी पकड़ लिया। ऐसा लगा जैसे कि उन लोगों ने मेरे दोस्त के साथ झूठा वादा किया होगा, कि हम लोग तुमको छोड़ देंगे।

     अब हम दोनों को किसी भी लैपटॉप दुकान में नहीं ले जाया गया। सबसे पहले तो मुझे मारने की कोशिश किया गया, उन लोगों ने मुझे गोली मारने की कोशिश किया। लेकिन गोली मुझे नहीं लग रहा था। इसके बाद उन लोगों ने मुझे और मेरे दोस्त को‌ ऐसा जगह ले जाया गया। जहां पर बहुत सारे लोग बैठ करके किसी देवी या देवता का पूजा कर रहे थे। नजदीक जाने के बाद मुझे पता चला, कि हम दोनों को नरबलि के लिए लाया गया है। क्योंकि जो मूर्ति मुझे दिखा वह जीवित दिखाई दे रहा था, वह मूर्ति दिखने में जीवित इंसान की तरफ प्रतीत हो रहा था। मैं उस मूर्ति के बारे में बताता हूं, वह एक औरत की मूर्ति था। और वह खून से लथपथ है, वह‌ अपनी लंबी जीभ निकाली हुई है, जैसे कि वह लोगों का रक्त पीना चाहती हो। नहीं यहां पर उस देवी का नाम नहीं बता रहा हूं, मैं बस उसके बारे में बता रहा हूं।

    अब लोग ज्यादा से ज्यादा मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे। और जो लोग हमें ले आए थे, उनमें से एक मुझसे कहता है नाच। लेकिन मैं नचा नहीं, मैं उनके मंच में जाकर उन लोगों से कहने लगा " यहोवा आ रहा है" और यही चीज मैं गाते गाते बोलने लगा। उसके बाद जब मैं जा रहा था तब मैं यह सोच रहा था कि कोई आकर मेरा गला काट देगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, मैंने देखा जो लोग हम दोनों का गला काटने वाले थे। उन लोगों का गला कोई अदृश्य शक्ति काट रहा था। और साथ में मैं भी काटने लगा उस अदृश्य शक्ति के साथ। वह शायद परमेश्वर का कोई दूत होगा, ऐसा मैं सोचता हूं। लेकिन जब उन लोगों का गला कट रहा था, तब मुझे ऐसा लगा जैसे कि परम प्रधान परमेश्वर खुद उन लोगों का गला काट रहे हों। अब भीड़ में अफरातफरी का माहौल था। मैं उन लोगों से बोल रहा था, जो बच गए थे और जिनका गला नहीं काटा "मैं जिसको मानता हूं वह जीवित परमेश्वर, वह किसी मूर्ति में वास नहीं करता है। जब तुम लोग मुझे और मेरे दोस्त को काटने ( बलि‌ करने) वाले थे। तब मेरा यहोवा ने मुझे बचाया। पर अब जब तुम लोगों का गला कट रहा है, वह भी तुम ही लोगों के देवी के सामने। फिर भी तुम्हारी देवी तुम लोगों के लिए कुछ नहीं कर रही है।" ऐसा लग रहा था कि मेरे परमेश्वर की उपस्थिति के समने वह देवी लाचार है। और मेरे परमेश्वर की उपस्थिति मेरे आवाज से प्रकट हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि मेरा आवाज में वजन है।

   इस घटना के बाद मैं और मेरा दोस्त बाहर निकले। लेकिन मैं दरवाजे से बाहर निकल चुका था। अब मेरा दोस्त और उसके साथ एक लड़का (वह लड़का कहां से आया पता नहीं, लेकिन अब हमारे साथ। शायद जब मैं बोल रहा था तब उनका मन परिवर्तन हुआ होगा) दोनों अंदर में ही थे। मेरे प्रचार के पास उन दोनों में अलग जोश दिखाई दे रहा था। और वे दोनों देवी की तरफ जाने लगे। लेकिन जैसे ही वे दोनों उस देवी के नजदीक गए, वैसे ही ‌‌‌उस देवी ने उन दोनों को अपनी शक्ति से हवा में उछाल दिया। अब दोनों उस देवी के प्रकोप का शिकार हो गए थे, मैं दरवाजे के बाहर सब कुछ देख रहा था। अब मैं क्रोध में आ गया और जैसे ही मैंने अपना एक पैर गुस्से से उस देवी के चौखट में रखा वैसे ही वह देवी मुझसे डर कर शांत हो गई। असल में वह मुझसे नहीं बल्कि मेरे अंदर में जो परमेश्वर जो परमेश्वर है, उससे डर रही थी। ऐसा लग रहा था मैं और मेरा परमेश्वर ( यीशु मसीह) हम एक हैं।

   इतने में मेरा आंखें खुल गया। यह देख कर मैं बहुत ज्यादा भयभीत हो गया, कि फिर से परमेश्वर ‌‌‌‌ने अपने आने का संकेत दिया है।  मैं इसलिए घमंड नहीं करता हूं कि मैं टैलेंटेड हूं, मुझ में हुनर है। मैं इसलिए घमंड करता हूं क्योंकि मैं परमेश्वर को जानता हूं। मैं यह सब लिखने से इसलिए नहीं घबरा रहा हूं, क्योंकि उस दुष्ट ने मुझे बहुत परेशान किया है। अब जब परमेश्वर की कृपा हुई है, तो अब मेरी बारी है। मेरी लड़ाई इंसानों से नहीं है, बल्कि उस अंधकार की शक्तियों से है जो इंसानों को पापों की ओर धकेलती है।

मैंने जो सपना देखा था। अब मुझे इतना ही याद है। लेकिन फिर भी मुझे आपसे बहुत कुछ कहना है।


दिनांक 19/06/2025 03:00 PM

जब से मैंने ऊपर के सभी चीजों को लिखा है। तब से मेरा तबियत बिगड़ हुआ है।

दिनांक 22/06/2025

मैं बस यही स्टडी कर रहा था की जो मैंने सपना देखा था, इसका मतलब क्या है। क्योंकि परमेश्वर का हमारे साथ सपनों के द्वारा बात करने का पुराना तरीका है। अभी रात के 12:22 हुआ है और मैं अपनी डायरी लिख रहा हूं। आप लोगों को बताना तो नहीं चाहता हूं लेकिन फिर भी मैं बताता हूं। व्यभिचार की आत्मा मुझे बहुत परेशान करती थी, और जब से मैंने यह सपना देखा है  उसके बाद से व्यभिचार मेरे दिल और दिमाग से निकल चुका है। मुझ में एक सबसे बड़ी गंदी आदत थी, और वह था अपने वीर्य को नाश करना। अब ऐसा लग रहा है कि मैं बदल रहा हूं। यह प्रक्रिया मेरे साथ हो चुका है पहले, कि मैं पहले कैसा था और मैं कैसे बदल गया।

        वह सब लंबी कहानी है, अभी अगर मैं यहां वहां बताऊंगा तो कुछ समझ में नहीं आएगा। इसलिए मैं चाहता हूं कि एक अच्छा सा आर्टिकल लिखूं अपने जीवन से संबंधित। ताकि किसी को भी पढ़ने में और समझने में दिक्कत ना हो। मैं अभी जान रहा हूं कि बहुत सारे लोग, जो मैं लिखता हूं उसको पढ़ने में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। लेकिन मैं कोशिश करूंगा  दिक्कतों को खत्म करने के लिए।

वह आने वाला है